रंगीला : फ़िल्म रंगीला 1995 को रिलीज़ हुई थी। आमिर खान की जोरदार गंभीर कमबैक वाली फिल्म थी ये रंगीला। इस फिल्म को 28 साल पूरे हो गए हैं।
रंगीला ही वो फिल्म थी जिसके बाद आमिर खान ने अवॉर्ड फंक्शन्स में जाना बंद कर दिया था। दरअसल, आमिर को यकीन था कि रंगीला में उनके काम के लिए उन्हें ही फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उस साल ही शाहरुख की DDLJ (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे) भी आई थी, रंगीला के लगभग 1 महीने बाद ही।
फिल्मफेयर के सारे मेजर अवॉर्ड्स डीडीएलजे ले उड़ी और कालजयी cult फ़िल्म का तमगा भी। कहा जाता है कि इसी घटना के बाद शाहरुख के साथ आमिर के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं रह गए थे। हालांकि बाद में दोनों के बीच सबकुछ ठीक हो गया।
ये फ़िल्म कई मायनों में एक मील का पत्थर थी. DUBBED फ़िल्म रोजा (1992), हमसे है मुकाबला (1994) और बॉम्बे (मार्च 1995) के बाद रहमान के गाने हिंदी सिने दर्शकों को सुनने मिले थे जो धूम मचा रहे थे, उस कालखंड में ऑडियो कैसेट्स ही आमजन के बीच सुलभ और लोकप्रिय थे, CD (Compact Disc) कुछ साल बाद आयी थी जिसे CD केसेट कहा जाता था।
90s का वो दौर अलग ही था, जिन्होंने उस दौर को जीया है उनके दिल दिमाग और यादों में उस दौर का नशा ऐसा छाया है कि अब नशा टूटने के बाद भी उस नशे में जाने को दिल चाहता है।
थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है जैसी जिंदगी के बावजूद Sine wave का वो pick है 90s का वो दौर की उस दौर में अपना बचपन लड़कपन स्कूल/कॉलेज जीवन जीने वाले उस मादकता भरे एहसास को मजनू बन के जाने कहाँ कहाँ ढूंढते है।
उस दौर में नया नया कंप्यूटर युग आया था, अर्थव्यवस्था में बाजार खुलने से थोड़ी तेजी थी, IT में Y2K की समस्या सामने खड़ी थी, समस्या हल करने को थोड़ा भी कंप्यूटर हार्डवेयर सॉफ्टवेयर जानने समझने वाले को विदेश में अच्छी खासी नौकरी मिल जा रही थी।
दूरदर्शन के एकछत्र राज को ज़ी tv , स्टार टीवी , सोनी , ATN आदि चैलेंज कर रहे थे और बच्चों युवाओं को लुभा रहे थे। शायद बेहतर वर्णन न हो पाए पर समझिए कि एकदम टिपिकल 90s का दौर था।
फ़िल्म का म्यूज़िक बेहतरीन था , इस फिल्म में आशा भोंसले जी ने दो गीत गाए थे। रंगीला रे व तन्हा तन्हा। और इत्तेफाक देखिए। रिलीज के दिन 8 सितंबर को ही आशा भोंसले जी का भी जन्मदिन पड़ता है। फिल्म सुपरहिट रही थी। लेकिन ये भी एक इत्तेफाक है कि आमिर खान ने इस फिल्म के बाद अभी तक किसी और फिल्म में उर्मिला मातोंडकर व रामगोपाल वर्मा के साथ काम नहीं किया है। वैसे इस फिल्म के लिए जैकी श्रॉफ को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल ज़रूर मिला था। जबकी आशा भोंसले जी को तन्हा तन्हा सॉन्ग के लिए फिल्मफेयर स्पेशल अवॉर्ड, रहमान को फिल्मफेयर बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर अवॉर्ड, मनीष मल्होत्रा को फिल्मफेयर बेस्ट कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर अवॉर्ड व अहमद खान को रंगीला रे सॉन्ग के लिए फिल्मफेयर बेस्ट कोरियोग्राफर अवॉर्ड दिया गया था।
आमिर के साथ साथ इस फ़िल्म से उर्मिला मातोंडकर ने भी जोरदार कम बैक किया था। उर्मिला जो इस फ़िल्म की मुख्य अभिनेत्री थी, इस फ़िल्म में अपने सेक्सी अवतार से छा गयी थी। जबकि उन्हें 70S की गुलज़ार की बेहतरीन फ़िल्म मासूम के लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा वाले गीत के बाल कलाकार के रूप में याद किया जाता था।
1991 की फ़िल्म नरसिम्हा में उर्मिला का चुलबुली अभिनेत्री के रूप में लांच हो चुका था , 1992 की शाहरुख अभिनीत फ़िल्म चमत्कार में भी वो मुख्य अभिनेत्री थी किन्तु रामगोपाल वर्मा की रंगीला से उसका कमबैक सभी मुख्य अभिनेत्रियों को हिला देने वाला था।
रामगोपाल वर्मा का डायरेक्शन भी एक बड़ी चर्चा का विषय था उन्होंने भी 15-20 साल तक अपनी कला और व्यावसायिक मसाला फिल्मों के बीच अच्छी फिल्में दीं।
यदि आप 80 या 90 के दशक के अंत में बड़े हुए हैं, तो आप आज की पीढ़ी की तुलना में कहीं अधिक भाग्यशाली हैं। पूछो क्यों? क्योंकि आपने स्मार्ट फोन, टैबलेट, फेसबुक, सेल्फी और अन्य चीजों से पहले अपने वास्तविक बचपन का आनंद लिया था...
आज आपके पास सबूत बहुत हैं पर सच्ची तस्वीरें और यादें कम और हल्की हैं जबकि उस 80s 90s के दौर की तस्वीरें और सुबूत कम हैं किंतु बातें यादें किस्से और भावनाएं कहीं अधिक और दिल content वाली सी हैं....
If you grew up in late 80s or 90s, you are much fortunate than today’s generation. Ask me why? Because you enjoyed your real childhood before smart phones, tablets, facebook, selfies, and other ...
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